हीर-रांझा, शीरी-फरहाद, रोमियो-जूलियट… ये सब प्यार की मिसाल हैं… लेकिन कभी सोचा है कि हीर को रोमियो से, जूलियट को फ़रहाद से या शीरी को रांझे से प्यार क्यों नहीं हुआ ?
क्यों किसी एक को देखकर कुछ-कुछ होता है… और दूसरे को देखकर नहीं… ?
दरअसल, इसके पीछे दिमाग की कारस्तानी है…
प्यार में हमेशा दिल के खोने की बात कही जाती है लेकिन प्यार दिल के हाथों मजबूर होकर नहीं… बल्कि दिमाग से होता है… वैज्ञानिकोें ने ये बात साबित की है…
हमारे शरीर में तरह-तरह के Hormones होते हैं जो दिमाग के आदेश पर काम करते हैं…
और प्यार तो जैसे इन Hormones का गुलाम होता है…
Love at first sight यानी पहली नज़र का प्यार… दूसरे शब्दों में इसे आकर्षण या attraction भी कह सकते हैं… तो इसके पीछे कसूर आपकी नज़रों का नहीं बल्कि आपके दिमाग में हो रहे Hormone secretions का है… वैज्ञानिक मानते हैं कि जब आप किसी को देखते हैं और आपको आकर्षण महसूस होता है, तो इसका मतलब है कि आपके दिमाग ने adrenaline, dopamine और serotonin नाम के Hormones रिलीज़ किए हैं… ये short term secretions होते हैं… इसलिए आकर्षण भी short term ही रहता है…
लेकिन वो प्यार जो जीवन भर के बंधन में बंधता है या यूं कहें कि लंबी रेस का घोड़ा साबित होता है, उस प्यार की वजह होते हैं oxytocin और vasopressin नाम के दो Hormones… जिन्हें bonding के नाम से जाना जाता है…
और कभी-कभी प्यार में वासना का पुट भी देखने को मिलता है… इसकी वजह होती है भारी मात्रा में पैदा होने वाले estrogen और testosterone नाम के दो chemicals…
Sketch by me, drawn on iPad Pro
वैसे प्यार में कहा जाता है कि opposites attract… लेकिन Hormones क मामला ज़रा उल्टा है… यहां प्यार की ये बात सटीक बैठती है कि ‘दोनों तरफ आग बराबर लगी है’… मतलब दोनों तरफ एक जैसे Hormones ही रिलीज़ हो रहे हैं…
PS : आज सुबह मेरे बेटे ने मुझे Happy Valentine’s day कहा… वो मेरा दूसरा Valentine है और मैं उसकी पहली Valentine हूं… जानते हैं मां और बच्चे के इस प्यार के पीछे भी Hormones ही होते हैं… यहां काम करता है Oxytocin hormone… जिसे cuddle hormone भी कहते हैं… ये प्यार हीर-रांझा और लैला-मजनूँ वाले प्यार से अलग होता है, क्योंकि हॉर्मोन में फ़र्क़ है।
हीर-रांझा, शीरी-फरहाद, रोमियो-जूलियट… ये सब प्यार की मिसाल हैं… लेकिन कभी सोचा है कि हीर को रोमियो से, जूलियट को फ़रहाद से या शीरी को रांझे से प्यार क्यों नहीं हुआ ?
क्यों किसी एक को देखकर कुछ-कुछ होता है… और दूसरे को देखकर नहीं… ?
दरअसल, इसके पीछे दिमाग की कारस्तानी है…
प्यार में हमेशा दिल के खोने की बात कही जाती है लेकिन प्यार दिल के हाथों मजबूर होकर नहीं… बल्कि दिमाग से होता है… वैज्ञानिकोें ने ये बात साबित की है…
हमारे शरीर में तरह-तरह के Hormones होते हैं जो दिमाग के आदेश पर काम करते हैं…
और प्यार तो जैसे इन Hormones का गुलाम होता है…
वैसे प्यार में कहा जाता है कि opposites attract… लेकिन Hormones क मामला ज़रा उल्टा है… यहां प्यार की ये बात सटीक बैठती है कि ‘दोनों तरफ आग बराबर लगी है’… मतलब दोनों तरफ एक जैसे Hormones ही रिलीज़ हो रहे हैं…
PS : आज सुबह मेरे बेटे ने मुझे Happy Valentine’s day कहा… वो मेरा दूसरा Valentine है और मैं उसकी पहली Valentine हूं… जानते हैं मां और बच्चे के इस प्यार के पीछे भी Hormones ही होते हैं… यहां काम करता है Oxytocin hormone… जिसे cuddle hormone भी कहते हैं… ये प्यार हीर-रांझा और लैला-मजनूँ वाले प्यार से अलग होता है, क्योंकि हॉर्मोन में फ़र्क़ है।
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