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Why Pi is the most mysterious number in the world?

Note : This story is published in Vigyan Prasar’s prestigious magazine DREAM 2047 (Hindi) in February 2023.   Download here

दुनिया में सबसे रहस्यमय संख्या है π (पाई) 

कहते हैं ‘पाई-पाई का हिसाब रखना चाहिए’… 

या ‘पाई-पाई जोड़कर ये घर बनाया है’… 

या फिर ‘वो पाई-पाई का मोहताज़ हो गया है’… 

इस शब्द ‘पाई’ का बातचीत में अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है… 

प्राचीन मुद्रा की इकाइयों में से एक है पाई और इसी से बनती है कहावतें… पुराने समय में 3 पाई का एक पैसा होता था… ये तो पाई का एक स्वरूप है… लेकिन क्या आप जानते हैं ये शब्द गणित से लिया गया है… 

पाई का दूसरा स्वरूप हमने गणित की किताबों में पढ़ा है… जिसे कुछ इस तरह लिखा जाता था – π… ये चिह्न देखकर आपको कुछ याद आया… गणित का विषय पढ़ते हुए इस मान की मदद से कितने सवाल हल करते थे… सबसे ख़ास होती है इसकी वैल्यू – 22/7 या 3.14… 

अब आते हैं इस बात पर कि आज हम पाई पर इतनी बातें क्यों कर रहे हैं… दरअसल 1988 से हर साल 14 मार्च को पाई दिवस के रूप में मनाया जाता है… इसके पीछे की वजह के बारे में जानेंगे लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि 14 मार्च को ही पाई दिवस क्यों मनाया जाता है… इसका सीधा रिश्ता पाई की वैल्यू से है। 

पाई का चिह्न (π) यूनानी वर्णमाला का सोलहवां अक्षर है। गणित में विशेष महत्व वाले अंक के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

पाई की वैल्यू का हिसाब-किताब 

3.14 = March (साल का तीसरा महीना और 14 तारीख़… जुड़कर बनते हैं 3.14 

इतना ही नहीं, पाई का मान दशमलव के बाद सात अंक तक होता है – 3.1415926… 3.14 के बाद के अंक समय को दर्शाते है – 1 आजतक 59 मिनट 26 सेकंड। 

यहाँ ये भी बता दें कि π का मान दशमलव के बाद कभी ना खत्म होने वाला एक अनियमित पैटर्न है जो 3.1415926535897932384626433… के बाद अनंत संख्या यानी ∞ (Infinity) तक खींचा जा सकता है। 

पाई दिवस की तारीख़ कैसे चुनी गई? 

इसके लिए दूसरी तारीख़ों का सुझाव भी दिया गया था… जैसे कि 22 जुलाई यानी कि 22 तारीख और सातवां महीना (22/7)। इसके अलावा 28 जून को भी पाई दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा गया था जो कि 2पाई की वैल्यू है। पाई की वैल्यू 3.14 होती है और 2पाई की वैल्यू 6.28 होती है… इसका मतलब हुआ कि छठा महीना और 28 तारीख (6.28) को भी अंतर्राष्ट्रीय पाई दिवस मनाने के लिए चुना जा सकता था। आख़िरकार 14 मार्च की तारीख़ तय की गई। मार्च के पूरे महीने को ही पाई का महीना कहा जाता है लेकिन 14 मार्च को सुपर पाई डे माना जाता है। 

पाई का मान 2017 में रिकॉर्ड-तोड़ 22 ट्रिलियन दशमलव स्थानों तक निर्धारित किया गया था।

1706 में एक वेल्श गणितज्ञ विलियम जोन्स ने पाई के चिह्न को पेश किया था। 
Box item 4 

1737 में, लियोनहार्ड यूलर ने प्रतीक के उपयोग को लोकप्रिय बनाया। 

पाई की ज़रूरत क्यों है ? 

पाई के बिना ज्यामिति संभव नहीं है। साथ ही अंतरिक्ष और समय का बोध भी संभव नहीं है। पाई व्यावहारिक गणित का अहम हिस्सा है। इसे इंजीनियरिंग, विज्ञान, चिकित्सा के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। पाई का आविष्कार नहीं होता तो हमारे लिए किसी भी गोलाकार चीज़ का माप लेना नामुमकिन होता। दरअसल पाई हर गोलाकार चीज़ से जुड़ा हुआ है। हमारे आस-पास मौजूद हर गोल वस्तु को मापने का एक मात्र तरीक़ा पाई ही है। इसके बिना सूरज, चाँद, ग्रहों के आकार, क्षेत्रफल, परिधि और व्यास के बारे में जानना मुश्किल होता। दरअसल पाई का इस्तेमाल मूल रूप से किसी गोलाकार चीज़ को मापने के लिए किया जाता है। उसके क्षेत्रफल (area), परिधि (circumference) और व्यास (diameter) जानने के लिए किया जाता है। 

पाई (π) = परिधि circumference) / व्यास (diameter) 

कमाल की बात ये है कि किसी भी वृत्त की परिधि को उसके व्यास से विभाजित करेंगे तो जवाब 3.14 आएगा…  फिर चाहे वो एक गोल प्लेट हो या फिर कोई ग्रह। ये एक ऐसी संख्या है जिसे हम ग्रीक अक्षर π से लिखते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा सटीकता के साथ पाई के अंकों की गणना करते रहें, आप पाएंगे कि वे बिना किसी पैटर्न के, हमेशा के लिए चलते रहते हैं। दुनिया भर के गणितज्ञ तीन से चार हज़ार वर्षों से इस पर शोध कर रहे हैं। 

पाई का इस्तेमाल हम सबसे ज्यादा हमारे स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई में देखते हैं जहां किसी गोलाकार चीज़ का क्षेत्रफल निकालने में पाई इस्तेमाल होता है। इसकी सहायता से हम कितने भी बड़े वृत्त के क्षेत्रफल को कुछ सेकंड में पता कर सकते हैं। उदाहरण के लिए – क्या आप जानते हैं कि पाई की मदद से ही ये भ्रम दूर हुआ कि पृथ्वी गोल नहीं है। पृथ्वी का आकार गोल न होकर अंडाकार है। इसी तरह चाँद की परिधि की गणना करने में पाई का इस्तेमाल किया जाता है। पाई की मदद से तारों की दूरी भी मापी जा सकती है। पिरामिड का आकार जाने के लिए पहले पाई को इस्तेमाल आज भी किया जाता है। 

पाई की वैल्यू कैसे निकाली गई? 

3.14 एक संख्या है लेकिन इस संख्या तक पहुँचने में कई शताब्दियां लग गई। पाई की वैल्यू निकालने के लिए लोगों ने अंदाज़े लगाकर, ग़लतियाँ करके इसकी सही वैल्यू ढूंढने की कोशिश की। आप सोचिए कि वर्ष 1600 ईसा पूर्व के आस-पास बेबीलोन में पाई की वैल्यू का लिखित प्रमाण मिला। तब पाई की वैल्यू 3.12 लिखी गई। इसके अलावा वर्ष 1650 ईसा पूर्व में प्राचीन मिस्र में पाई की वैल्यू का अंदाज़ा 3.16 लगाया गया। दोनों ही अंदाज़े 3.1 के आस-पास थे। तो इसे आप असल वैल्यू के बहुत क़रीब मान सकते हैं। लेकिन तब भी 3.14 की वैल्यू तक पहुँचना बहुत ही कठिन रहा और इसमें लम्बा समय खर्च हो गया। वर्ष 250 ईसा पूर्व में आर्किमीडीज़ ने गणनाएँ की और पाई की वैल्यू 3.14 के आस-पास निकाली। वर्ष 150 में टोलेमी नामक वैज्ञानिक ने पाई की वैल्यू 3.1416 निकाली। चीन के गणितज्ञों ने भी इसके क़रीब सौ साल बाद यही वैल्यू निकाली। इसके बाद चीन के ही एक और गणितज्ञ ने दशमलव के बाद सात अंकों तक पाई की, तब तक की सबसे सटीक वैल्यू निकाली। इसके बाद वर्ष 1630 में ऑस्ट्रिया के खगोलशास्त्री क्रिस्टोफ ग्रिनबर्गर ने दशमलव के बाद अड़तीस अंकों तक पाई की वैल्यू निकाली। सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में कई ऐसी तकनीकें विकसित हुईं जिससे पाईं की एकदम सटीक वैल्यू निकाली जा सके। 

ऐसा माना जाता है कि पाई (π) के सिद्धान्त की खोज महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने की थी। आर्यभट्ट ने इसके सिद्धान्त को समझाते हुए संस्कृत में लिखा है – 

चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥

इस श्लोक का मतलब है – 

100 में चार जोड़ें, आठ से गुणा करें और फिर 62,000 जोड़ें—(100+4)×8+62,000=62832 

इस नियम से 20,000 व्यास वाले वृत्त की परिधि 62832 निकली। 

एक वृत्त का व्यास अगर 20,000 होगा, तो उसकी परिधि 62,832 होगी। 

यानी पाई = परिधि/व्यास 

पाई=62832/20000 = 3.141 = 22/7 

आधुनिक युग में पाई का मान सबसे पहले 1706 में विलियम जोन्स ने सुझाया था कि पाई का मान लगभग 3.14159 के बराबर होता है। 

बताया जाता है कि भारतीय खगोलशास्त्री नीलकंठ सोमयाजि ने एक संस्कृत श्लोक में जो पाई की वैल्यू बताई गई थी उसके आधार पर पाई की अनंत शृंखला की व्याख्या की। वर्ष 1665 में मशहूर वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन ने दशमलव के बाद पन्द्रह अंकों तक पाई की वैल्यू निकाली थी। ये रिकॉर्ड टूटता रहा और 1699 में दशमलव के बाद 71 अंक तक, 1706 में 100 अंक तक, 1956 में 620 अंक तक पाई की वैल्यू निकाली गई। सबसे दिलचस्प बात ये है कि पाई की ये सारी वैल्यू बिना किसी कैल्कुलेटर और कम्प्यूटर के निकाली जा रही थी। 1946 में इनियाक (iniac), जो पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर था, उसने सत्तर घंटों में पाई की दशमलव के बाद दो हज़ार सैंतीस अंकों की गणना की थी। और जून 2022 में क़रीब 158 दिनों में पाई की सौ लाख करोड़ अंकों की गणना का रिकॉर्ड बनाया गया था। 

हालाँकि पाई की सटीक वैल्यू आज तक निकाली नहीं जा सकी है लेकिन ये बात दुनिया भर में मानी जाती है कि 24 अंकों के आस-पास तक की गणना बहुत सटीक वैल्यू दे देती है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि पाई की दशमलव के बाद चालीस अंकों तक की वैल्यू खगोलीय गणनाओं के लिए सही रहती है। पाई की सटीक वैल्यू ढूँढने के लिए दुनिया ने जो मेहनत की उससे बहुत सारे नए सूत्र निकले जो आधुनिक गणित की आधारशिला बन गए। कई वैज्ञानिकों ने इस संख्या को ब्रह्मांड के बनने का गुप्त कोड भी माना है। मिस्र में मौजूद गिज़ा के पिरामिड की गणनाओं में भी पाई मौजूद है। दुनिया की सहसे रहस्यमय संख्या के बारे में जानने की उत्सुकता आज भी बनी हुई है। 

पाई दिवस क्यों और कैसे मनाया जाता है? 

पाई दिवस एक अनंत गणितीय अनुपात का उत्सव मनाने का मौक़ा है। पाई दिवस मनाने का विचार किसी वैज्ञानिक के दिमाग़ में ही आ सकता था। उन्होंने इस दिन की विशेषता को एक उत्सव में तब्दील कर दिया। ये वैज्ञानिक थे अमेरिकी भौतिक विज्ञानी लैरी शॉ। उन्होंने ही पाई दिवस पहली बार 1988 में मनाया था। धीरे-धीरे करके पाई दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय अवकाश का मौक़ा बन गया है। पाई की रैलियाँ और रोड शो निकले जाते हैं। इससे जुड़े कार्यक्रमों के टिकट बेचे जाते हैं और लोग टिकट ख़रीदते हैं। अब हालत ये है कि हर साल पाई दिवस पर लोग पाई की वैल्यू में दशमलव के बाद आने वाले अंकों के बैनर लेकर इकट्ठा होते हैं और इस विशेष संख्या का उत्सव मनाते हैं। सोशल मीडिया के दौर में पाई से जुड़े कार्यक्रम ऑनलाइन भी होते हैं। बहुत सारे लोग ‘पाई’ (मिठाई) को खाकर इस दिन का उत्सव मनाते हैं। 

1996 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पोलिश कवियत्री विस्लावा सिम्बोर्स्का की एक कविता भी पाई के नाम पर है। 

The admirable number pi:
three point one four one.
All the following digits are also initial,
five nine two because it never ends. 

जानिए पाई के बारे में अनजानी बातें 

1) पाई एक अपरिमेय संख्या है। अगर चाहें भी तो इस संख्या का सही मान निकाला नहीं जा सकता है। बल्कि ये मान अनंत संख्या तक जा सकता है।

2) इसका सीधा मतलब ये हुआ कि किसी वृत की परिधि का मान निकालने वाला पाई, वृत्त की सटीक परिधि कभी नहीं बता सकता है क्योंकि पाई के सटीक मान की गणना भी कभी नहीं की जा सकती है।

3) गणितज्ञ आइजक न्यूटन, जो कैलकुलस के जनक भी हैं, ने पाई के मान की गणना कम से कम 16 दशमलव स्थानों तक की।

5) पाई से बनी एक पूरी भाषा है। 2010 में, सॉफ्टवेयर इंजीनियर माइकल कीथ ने पाई भाषा में ‘नॉट ए वेक’ नाम से एक पुस्तक प्रकाशित की थी। 

पाई को लेकर दीवानगी ऐसी है कि वर्ष 2015 में पाई की वैल्यू को 70,000 से भी ज़्यादा अंकों तक याद करके सुनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। 

2010 में गूगल ने पहली बार PI Day के लिए Google-Doodle बनाया। इसके बाद 2018 में भी Google-Doodle बनाया गया था। (Both Images attached) 

14 मार्च का महत्व 

ये दिन कुछ और वजहों से भी ख़ास है। पाई के इतिहास को आप एक तरह से गणित का इतिहास भी कह सकते हैं। इसलिए 14 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस भी मनाया जाता है। इसकी शुरूआत यूनेस्को ने साल 2019 में की थी। इस दिन महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन की जयंती है और प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग की पूण्यतिथि भी है। 

पाई की वैल्यू अनंत है तो इसमें अनंत संभावनाओं का बोध है। जब संभावनाएँ अनंत हैं तो रहस्य भी अनंत हैं। शायद इसलिए ये अंक सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता है। पाई ने न सिर्फ़ गणित के विषय और इससे जुड़ी गणनाओं को हमारे लिए आसान बनाया है बल्कि समय के साथ ये वैल्यू और ज़्यादा सटीक हो गई है। लेकिन मन में सवाल उठता है कि क्या दुनिया भर के वैज्ञानिक कभी पाई की अनंत वैल्यू तक पहुँच पाएँगे? 

Science journalist | Anchoring & Conceptualising Science Infotainment Shows for Vigyan Prasar, Doordarshan & All India Radio | Indie Writer & Filmmaker | GOI Projects | Sci-Expert @ CIET, NCERT | 16 yr Experience

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