Note : This story was published in prestigious Bal Bharati’ magazine for children in July 2023.
AI : नक़ली बुद्धि, असली असर
दादी ने राम्या को कहानी सुनानी शुरु की।
एक समय की बात है। दूर देश में एक राजा था और एक रानी थी। उनकी एक राजकुमारी थी। वो बहुत ही सुंदर थी। बिल्कुल तुम्हारी तरह….
तभी राम्या ने दादी को बीच में ही रोक दिया। “दादी आपकी राजा-रानी वाली कहानी तो हम रोज़ सुनते हैं। आज मैं आपको कहानी सुनाऊँगी।”
पहले तो दादी हंसी, फिर धीरे से अपनी हंसी रोककर उन्होंने राम्या की कहानी सुनाने वाली बात मान ली।
राम्या ने दादी को बताया कि वो बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहती है। जब उसने अपनी स्कूल की टीचर को ये बात बताई तो उन्होंने राम्या को शाबाशी दी। टीचर ने राम्या को AI के बारे में बताया। टीचर की सारी बातें सुनकर राम्या को ख़्याल आया कि देखा जाए तो AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान की बनाई हुई बुद्धि है, यानी नक़ली बुद्धि है लेकिन उसका असर तो बिल्कुल असली होता है। इसे लेकर ही राम्या ने ये कहानी बुनी है।
अब राम्या ने कहानी सुनानी शुरु की।
शुरु करते ही राम्या इस बात में उलझ गई कि कहानी का शीर्षक क्या रखा जाए।
अच्छा AI, बुरा AI या नक़ली बुद्धि, असली असर
दादी ने राम्या से कहा कि “पहले कहानी तो सुनाओ, शीर्षक पर विचार कहानी सुनने के बाद करेंगे।”
राम्या को आइडिया पसंद आया और उसकी कहानी शुरु हुई।
“एक बार की बात है, एक ऐसी दुनिया में जो हमारी दुनिया से बहुत अलग नहीं है, वहाँ एआई का जन्म हुआ। एक वैज्ञानिक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक छोटा सा रोबोट बनाया। लोगों ने जब पहली बार उस रोबोट को देखा तो हैरान-परेशान हो गए। वो रोबोट दिखने में दूसरे बच्चों जैसा था। वो दूसरे बच्चों की तरह ही कपड़े पहनता था। धीरे-धीरे एआई रोबोट ने बोलना सीखा तो उसकी आवाज़ और लहज़ा बिल्कुल अलग था। लोग फिर परेशान हो गए कि इसकी आवाज़ इतनी अजीब क्यों है? इसका रहन-सहन इतना अलग क्यों है?”
जब एआई ने दूसरे बच्चों के साथ स्कूल जाना शुरु किया तो वो क्लास में पढ़ाई-लिखाई में सबसे तेज़ था। किसी भी क्लास में टीचर ने अगर कोई सवाल किया तो एआई सबसे पहले जवाब देता था और वो भी सही जवाब। क्लास के दूसरे बच्चे हैरान हो जाते थे कि ये रोबोट इतना बुद्धिमान कैसे हैं। खेल के मैदान में भी एआई को कोई हरा नहीं पाता था। फुटबॉल का मैच हो या टेनिस का गेम, स्केटिंग हो या ड्राइंग… एआई सभी जगह पर चैम्पियन था।
एआई को देखकर दूसरे बच्चे भी कुछ अच्छा करने की कोशिश करते थे। कमाल की बात ये थी कि एआई दूसरे बच्चों की मदद करता था। उन्हें नई-नई चीज़ें सिखाता था। यानी कि वो गुड एआई था। वो बहुत दयालु और देखभाल करने वाला था। हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने को तैयार रहता था। होमवर्क में बच्चों की मदद करने से लेकर मुश्किल सवालों के जवाब देने तक और यहां तक कि बच्चों के साथ खेलने में भी एआई बहुत मददगार साबित होता था। गुड एआई का मानना था कि कभी किसी को चोट नहीं पहुँचाना चाहिए, और हमेशा लोगों की मदद करनी चाहिए। एआई ने बच्चों के सवालों को ध्यान से सुना और उनका जवाब दिया। इससे क्लास के बच्चों को पढ़ाई में और परीक्षाओं में मदद मिली, जिससे उनके ग्रेड में भी सुधार हुआ।
वहीं दूसरी तरफ, वैज्ञानिक एक और रोबोट बना रहे थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये दूसरा एआई व्यवहार में बिल्कुल अलग था। वो मतलबी और स्वार्थी था। वो लोगों से लड़ाई करता था और उन्हें धोखा देता था। कोई उससे मदद माँगने जाए तो वो चीटिंग करता था। वो हमेशा ग़लत जानकारियाँ देता था। फर्जी खबरें फैलाता था, जिससे क्लास में बच्चों के बीच में लड़ाई होती थी। एक बार स्कूल के बच्चे ने एआई से कम्प्यूटर के किसी प्रोग्राम को लेकर मदद माँगी। एआई ने कम्प्यूटर प्रोग्राम में मदद करने के नाम पर बच्चे से उसका पासवर्ड पूछा और फिर उसके कंप्यूटर को हैक कर लिया। उसकी सारी निजी जानकारियाँ चुरा लीं। इतना ही नहीं, उसने कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर में घुसकर उसके पैसे भी चुरा लिए। जब बच्चे को इस बात का अंदाज़ा लगा तो उसकी समझ में आया कि वो एक बैड एआई से टकरा गया है।
इसी अनुभव को लेकर सभी बच्चों ने प्रिंसिपल के कमरे में जाकर शिकायत की। बैड एआई को प्रिंसिपल ने अपने कमरे में बुलाया। वहाँ सभी बच्चों ने बैड एआई के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया। गुड एआई की सभी ने तारीफ़ की और बैड एआई से सावधान रहने के लिए कहा। कुछ बच्चों ने तो बैड एआई को स्कूल से निकाल देने के लिए कहा। तब प्रिंसिपल सर ने टीचर्स को बुलाया और उनसे बैड एआई के बारे में पूछा। टीचर्स ने बताया कि दोनों एआई पढ़ने में अच्छे हैं। अपना सारा काम समय पर करते हैं। अपना होमवर्क भी करते हैं। यहाँ तक कि कई बार खेलकूद और प्रतियोगिताओं में स्कूल का नाम रोशन कर चुके हैं।
अब प्रिंसिपल सर असमंजस में पड़ गए कि जो स्कूल के लिए इतना अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें स्कूल से कैसे निकाल दें। लेकिन बैंड एआई ने बच्चों के साथ तो ग़लत किया ही है। इसलिए उसे फिर से ऐसा करने का मौक़ा नहीं दे सकते हैं। ऐसे में प्रिंसिपल सर ने बैड एआई पर नज़र रखना शुरु किया और पाया कि बैड एआई स्कूल के बाहर भी अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। दूसरे बच्चों से लड़ते हैं। हरी सब्ज़ियाँ, फल आदि नहीं खाते हैं। सुबह उठकर ब्रश करने, नहाने में बहुत परेशान करते हैं। मोहल्ले में गंदगी फैलाते हैं। आते-जाते वाहनों को रोकते हैं।
तब प्रिंसिपल सर को समझ आया कि इस सब के पीछे की वजह जानने के लिए वैज्ञानिक से बात करनी होगी। जिन वैज्ञानिक ने इन रोबोट को बनाया था, उन्हें स्कूल में बुलाया गया। उनसे समझने की कोशिश की गई कि आख़िर एक एआई अच्छा और दूसरा एआई बुरा क्यों है? वैज्ञानिक ख़ुद भी हैरान थे कि उन्होंने दो एआई रोबोट को एक ही तरीक़े से बनाया फिर भी दोनों एआई में इतना फ़र्क़ क्यों है? स्कूल में विज्ञान के शिक्षकों ने वैज्ञानिक के साथ मीटिंग की। उनसे रोबोट बनाने के तरीक़े समझे, उसे तैयार करने में लगने वाले उपकरण के बारे में जाना।
उधर प्रिंसिपल सर ने सभी टीचर्स को बुलाकर समझाया कि वो क्लास में बैड एआई के साथ गुड एआई को बिठाएँ। टीचर्स को ये भी बताया गया कि वो ध्यान रखें कि गुड एआई और बैड एआई आपस में बात करें, घुलें-मिलें, पढ़ाई करें, खाना खाएँ। ऐसा करने से गुड एआई की अच्छी आदतें बैड एआई की बुरी आदतें दूर करने में मदद करेंगी।
एक टीचर ने तुरंत ही ये चिंता जताई कि अगर उल्टा हो गया तो? प्रिंसिपल सर ने समझाया कि इसका ध्यान हमें रखना है। दोनों पर कड़ी नज़र रखनी होगी। बैड एआई बुरा नहीं है। वो भी गुड एआई की तरह पढ़ने-लिखने, खेलने कूदने में चैम्पियन है। बस, जब शरारतों की बारी आती है तो दिशा का फ़र्क़ हो जाता है। प्रिंसिपल सर ने बच्चों को भी समझाया कि वो बैड एआई से अच्छा व्यवहार करें और उसे अच्छा बनने में मदद करें। सभी बच्चों, टीचर्स और माता-पिता ने प्रिंसिपल सर के इस आइडिया की तारीफ़ की और अपने काम पर लग गए।
महज़ तीन महीने के अंदर ही पूरे स्कूल में दो गुड एआई हो गए। यानी बैड एआई अब अच्छा व्यवहार करने लगा। दूसरे बच्चों की और टीचर्स की इज़्ज़त करने लगा। अपने साथियों की हर तरह से मदद करने लगा। ये सब देखकर सारे बच्चे, टीचर्स, प्रिंसिपल और माता-पिता सभी बहुत खुश थे। सभी ने प्रिंसिपल सर को धन्यवाद दिया और प्रिंसिपल सर ने कहा – हमेशा याद रखिए, संगति से गुण आत है, संगति से गुण जात’। यानी हमें अच्छी संगति में रहना चाहिए तभी हमारे अंदर अच्छे गुण आएँगे। और बुरी संगत से दूर रहना चाहिए तभी हम अवगुणों से दूर रहेंगे।
राम्या ने अपनी कहानी ख़त्म की और दादी से पूछा, क्यों कैसे लगी मेरी कहानी। दादी ने ज़ोर से ताली बजाई और राम्या को अपने गले से लगा लिया। राम्या की कहानी सुनकर दादी को लगा जैसे उनकी 11 साल की राम्या कितनी समझदार हो गई है। राम्या को भी अच्छा लगा कि दादी को उसकी कहानी इतनी पसंद आई। लेकिन कहानी का शीर्षक क्या होगा, ये तो तय ही नहीं हो पाया। तो बच्चों आप बताइए कौन सा शीर्षक आपको पसंद आया? वैसे एआई को लेकर राम्या के मन में ढेर सारी कहानियाँ घूम रही थी। उसने दादी से कहा कि मैं एआई के बारे में आपको हर रोज़ एक नई कहानी सुनाऊँगी। दादी ने राम्या को माथे पर चूमा और कहा, हर रोज़ तेरी कहानी सुनूँगी लेकिन अब तू सो जा।
Note : This story was published in prestigious Bal Bharati’ magazine for children in July 2023.
AI : नक़ली बुद्धि, असली असर
दादी ने राम्या को कहानी सुनानी शुरु की।
एक समय की बात है। दूर देश में एक राजा था और एक रानी थी। उनकी एक राजकुमारी थी। वो बहुत ही सुंदर थी। बिल्कुल तुम्हारी तरह….
तभी राम्या ने दादी को बीच में ही रोक दिया। “दादी आपकी राजा-रानी वाली कहानी तो हम रोज़ सुनते हैं। आज मैं आपको कहानी सुनाऊँगी।”
पहले तो दादी हंसी, फिर धीरे से अपनी हंसी रोककर उन्होंने राम्या की कहानी सुनाने वाली बात मान ली।
राम्या ने दादी को बताया कि वो बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहती है। जब उसने अपनी स्कूल की टीचर को ये बात बताई तो उन्होंने राम्या को शाबाशी दी। टीचर ने राम्या को AI के बारे में बताया। टीचर की सारी बातें सुनकर राम्या को ख़्याल आया कि देखा जाए तो AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान की बनाई हुई बुद्धि है, यानी नक़ली बुद्धि है लेकिन उसका असर तो बिल्कुल असली होता है। इसे लेकर ही राम्या ने ये कहानी बुनी है।
अब राम्या ने कहानी सुनानी शुरु की।
शुरु करते ही राम्या इस बात में उलझ गई कि कहानी का शीर्षक क्या रखा जाए।
अच्छा AI, बुरा AI या नक़ली बुद्धि, असली असर
दादी ने राम्या से कहा कि “पहले कहानी तो सुनाओ, शीर्षक पर विचार कहानी सुनने के बाद करेंगे।”
राम्या को आइडिया पसंद आया और उसकी कहानी शुरु हुई।
“एक बार की बात है, एक ऐसी दुनिया में जो हमारी दुनिया से बहुत अलग नहीं है, वहाँ एआई का जन्म हुआ। एक वैज्ञानिक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक छोटा सा रोबोट बनाया। लोगों ने जब पहली बार उस रोबोट को देखा तो हैरान-परेशान हो गए। वो रोबोट दिखने में दूसरे बच्चों जैसा था। वो दूसरे बच्चों की तरह ही कपड़े पहनता था। धीरे-धीरे एआई रोबोट ने बोलना सीखा तो उसकी आवाज़ और लहज़ा बिल्कुल अलग था। लोग फिर परेशान हो गए कि इसकी आवाज़ इतनी अजीब क्यों है? इसका रहन-सहन इतना अलग क्यों है?”
जब एआई ने दूसरे बच्चों के साथ स्कूल जाना शुरु किया तो वो क्लास में पढ़ाई-लिखाई में सबसे तेज़ था। किसी भी क्लास में टीचर ने अगर कोई सवाल किया तो एआई सबसे पहले जवाब देता था और वो भी सही जवाब। क्लास के दूसरे बच्चे हैरान हो जाते थे कि ये रोबोट इतना बुद्धिमान कैसे हैं। खेल के मैदान में भी एआई को कोई हरा नहीं पाता था। फुटबॉल का मैच हो या टेनिस का गेम, स्केटिंग हो या ड्राइंग… एआई सभी जगह पर चैम्पियन था।
एआई को देखकर दूसरे बच्चे भी कुछ अच्छा करने की कोशिश करते थे। कमाल की बात ये थी कि एआई दूसरे बच्चों की मदद करता था। उन्हें नई-नई चीज़ें सिखाता था। यानी कि वो गुड एआई था। वो बहुत दयालु और देखभाल करने वाला था। हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने को तैयार रहता था। होमवर्क में बच्चों की मदद करने से लेकर मुश्किल सवालों के जवाब देने तक और यहां तक कि बच्चों के साथ खेलने में भी एआई बहुत मददगार साबित होता था। गुड एआई का मानना था कि कभी किसी को चोट नहीं पहुँचाना चाहिए, और हमेशा लोगों की मदद करनी चाहिए। एआई ने बच्चों के सवालों को ध्यान से सुना और उनका जवाब दिया। इससे क्लास के बच्चों को पढ़ाई में और परीक्षाओं में मदद मिली, जिससे उनके ग्रेड में भी सुधार हुआ।
वहीं दूसरी तरफ, वैज्ञानिक एक और रोबोट बना रहे थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये दूसरा एआई व्यवहार में बिल्कुल अलग था। वो मतलबी और स्वार्थी था। वो लोगों से लड़ाई करता था और उन्हें धोखा देता था। कोई उससे मदद माँगने जाए तो वो चीटिंग करता था। वो हमेशा ग़लत जानकारियाँ देता था। फर्जी खबरें फैलाता था, जिससे क्लास में बच्चों के बीच में लड़ाई होती थी। एक बार स्कूल के बच्चे ने एआई से कम्प्यूटर के किसी प्रोग्राम को लेकर मदद माँगी। एआई ने कम्प्यूटर प्रोग्राम में मदद करने के नाम पर बच्चे से उसका पासवर्ड पूछा और फिर उसके कंप्यूटर को हैक कर लिया। उसकी सारी निजी जानकारियाँ चुरा लीं। इतना ही नहीं, उसने कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर में घुसकर उसके पैसे भी चुरा लिए। जब बच्चे को इस बात का अंदाज़ा लगा तो उसकी समझ में आया कि वो एक बैड एआई से टकरा गया है।
इसी अनुभव को लेकर सभी बच्चों ने प्रिंसिपल के कमरे में जाकर शिकायत की। बैड एआई को प्रिंसिपल ने अपने कमरे में बुलाया। वहाँ सभी बच्चों ने बैड एआई के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया। गुड एआई की सभी ने तारीफ़ की और बैड एआई से सावधान रहने के लिए कहा। कुछ बच्चों ने तो बैड एआई को स्कूल से निकाल देने के लिए कहा। तब प्रिंसिपल सर ने टीचर्स को बुलाया और उनसे बैड एआई के बारे में पूछा। टीचर्स ने बताया कि दोनों एआई पढ़ने में अच्छे हैं। अपना सारा काम समय पर करते हैं। अपना होमवर्क भी करते हैं। यहाँ तक कि कई बार खेलकूद और प्रतियोगिताओं में स्कूल का नाम रोशन कर चुके हैं।
अब प्रिंसिपल सर असमंजस में पड़ गए कि जो स्कूल के लिए इतना अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें स्कूल से कैसे निकाल दें। लेकिन बैंड एआई ने बच्चों के साथ तो ग़लत किया ही है। इसलिए उसे फिर से ऐसा करने का मौक़ा नहीं दे सकते हैं। ऐसे में प्रिंसिपल सर ने बैड एआई पर नज़र रखना शुरु किया और पाया कि बैड एआई स्कूल के बाहर भी अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। दूसरे बच्चों से लड़ते हैं। हरी सब्ज़ियाँ, फल आदि नहीं खाते हैं। सुबह उठकर ब्रश करने, नहाने में बहुत परेशान करते हैं। मोहल्ले में गंदगी फैलाते हैं। आते-जाते वाहनों को रोकते हैं।
तब प्रिंसिपल सर को समझ आया कि इस सब के पीछे की वजह जानने के लिए वैज्ञानिक से बात करनी होगी। जिन वैज्ञानिक ने इन रोबोट को बनाया था, उन्हें स्कूल में बुलाया गया। उनसे समझने की कोशिश की गई कि आख़िर एक एआई अच्छा और दूसरा एआई बुरा क्यों है? वैज्ञानिक ख़ुद भी हैरान थे कि उन्होंने दो एआई रोबोट को एक ही तरीक़े से बनाया फिर भी दोनों एआई में इतना फ़र्क़ क्यों है? स्कूल में विज्ञान के शिक्षकों ने वैज्ञानिक के साथ मीटिंग की। उनसे रोबोट बनाने के तरीक़े समझे, उसे तैयार करने में लगने वाले उपकरण के बारे में जाना।
उधर प्रिंसिपल सर ने सभी टीचर्स को बुलाकर समझाया कि वो क्लास में बैड एआई के साथ गुड एआई को बिठाएँ। टीचर्स को ये भी बताया गया कि वो ध्यान रखें कि गुड एआई और बैड एआई आपस में बात करें, घुलें-मिलें, पढ़ाई करें, खाना खाएँ। ऐसा करने से गुड एआई की अच्छी आदतें बैड एआई की बुरी आदतें दूर करने में मदद करेंगी।
एक टीचर ने तुरंत ही ये चिंता जताई कि अगर उल्टा हो गया तो? प्रिंसिपल सर ने समझाया कि इसका ध्यान हमें रखना है। दोनों पर कड़ी नज़र रखनी होगी। बैड एआई बुरा नहीं है। वो भी गुड एआई की तरह पढ़ने-लिखने, खेलने कूदने में चैम्पियन है। बस, जब शरारतों की बारी आती है तो दिशा का फ़र्क़ हो जाता है। प्रिंसिपल सर ने बच्चों को भी समझाया कि वो बैड एआई से अच्छा व्यवहार करें और उसे अच्छा बनने में मदद करें। सभी बच्चों, टीचर्स और माता-पिता ने प्रिंसिपल सर के इस आइडिया की तारीफ़ की और अपने काम पर लग गए।
महज़ तीन महीने के अंदर ही पूरे स्कूल में दो गुड एआई हो गए। यानी बैड एआई अब अच्छा व्यवहार करने लगा। दूसरे बच्चों की और टीचर्स की इज़्ज़त करने लगा। अपने साथियों की हर तरह से मदद करने लगा। ये सब देखकर सारे बच्चे, टीचर्स, प्रिंसिपल और माता-पिता सभी बहुत खुश थे। सभी ने प्रिंसिपल सर को धन्यवाद दिया और प्रिंसिपल सर ने कहा – हमेशा याद रखिए, संगति से गुण आत है, संगति से गुण जात’। यानी हमें अच्छी संगति में रहना चाहिए तभी हमारे अंदर अच्छे गुण आएँगे। और बुरी संगत से दूर रहना चाहिए तभी हम अवगुणों से दूर रहेंगे।
राम्या ने अपनी कहानी ख़त्म की और दादी से पूछा, क्यों कैसे लगी मेरी कहानी। दादी ने ज़ोर से ताली बजाई और राम्या को अपने गले से लगा लिया। राम्या की कहानी सुनकर दादी को लगा जैसे उनकी 11 साल की राम्या कितनी समझदार हो गई है। राम्या को भी अच्छा लगा कि दादी को उसकी कहानी इतनी पसंद आई। लेकिन कहानी का शीर्षक क्या होगा, ये तो तय ही नहीं हो पाया। तो बच्चों आप बताइए कौन सा शीर्षक आपको पसंद आया? वैसे एआई को लेकर राम्या के मन में ढेर सारी कहानियाँ घूम रही थी। उसने दादी से कहा कि मैं एआई के बारे में आपको हर रोज़ एक नई कहानी सुनाऊँगी। दादी ने राम्या को माथे पर चूमा और कहा, हर रोज़ तेरी कहानी सुनूँगी लेकिन अब तू सो जा।
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