Note : This story was published in prestigious magazine of Vigyan Prasar ‘DREAM 2047’ (Hindi).
“विज्ञान मुश्किल विषय है।” “ये आम आदमी की पहुँच से दूर है।” “वैज्ञानिक भाषा समझना और समझाना कठिन है।” विज्ञान को हमेशा इसी नज़र से देखा गया। लेकिन. आज ऐसा नहीं है। आम आदमी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समझ पैदा करने के लिए एक निरंतर कोशिश की ज़रूरत है। इस ज़रूरत को काफ़ी हद तक पूरा करता है विज्ञान प्रसार। आज विज्ञान जन-जन तक पहुँच रहा है। विज्ञान को हमारे जीवन में सरल और स्पष्ट तरीक़े से पहुंचाने में विज्ञान प्रसार तैंतीस वर्षों से तत्पर है। विज्ञान का प्रसार संचार के हर माध्यम से हो, यही विज्ञान प्रसार है। विज्ञान प्रसार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अलग-अलग रूप में लोगों के सामने पेश किया। विज्ञान प्रसार का सबसे नया प्रयास रहा ओटीटी चैनल ‘इंडिया साइंस’। ये एक ऑडियो-विजुअल माध्यम है। विज्ञान प्रसार के साथ मेरी यात्रा भी इसी के साथ शुरु हुई। विज्ञान प्रसार, विज्ञान से जुड़े रेडियो धारावाहिक बना रहा है, ड्रीम 2047 जैसी भविष्य की तरफ़ पूरे विश्वास के साथ देखती पत्रिका, अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषाओं में निकाल रहा है। स्टूडियो में वैज्ञानिकों को बुलाकर उनसे बातचीत करने से लेकर देश के छोटे-बड़े विज्ञान संस्थानों में जाकर वैज्ञानिकों से विज्ञान के गूढ़ विषयों को समझकर, लोगों तक पहुँचाने में विज्ञान प्रसार अहम भूमिका निभाता आया है। समय-समय पर स्टूडियो में मेहमानों को बुलाकर विज्ञान के विषयों पर परिचर्चा करते हुए लीक से हटकर कई विषय चुने गए। ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद सैकड़ों वीडियो में छोटे-छोटे एक्सप्लेनर्स से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक को ऐसी भाषा और ट्रीटमेंट की मदद से तैयार किया गया है कि बच्चे और बड़े सभी को वैज्ञानिक पहलू समझ आ सकें। और समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित हो। ड्रोन, हाइड्रोपावर, सूर्य ग्रहण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला डेंटिस्ट, भारत का जीपीएस – नाविक, लिथियम आयन बैटरी, प्लास्टिक से बचाव, जीनोम सिक्वेंसिग, ब्रेन एटलस, बुलेट ट्रेन, आदित्य मिशन, एयरकंडिशनर की 5 स्टार रेटिंग का विज्ञान, इनोवेटिव टॉयलेट्स, डिजिटल पुनर्जन्म, डेटा विज्ञान, बर्ड फ्लू जैसे विषयों पर विज्ञान प्रसार के लिए जो स्टूडियो कार्यक्रम बनाए उनसे विज्ञान की जानकारी जन-जन तक पहुँच सकी। विज्ञान प्रसार का रेडियो धारावाहिक भी उसके मिशन को पूरा करने में पूरा योगदान देता है। आज के दौर में भी विज्ञान प्रसार ने रेडियो के लिए विज्ञान धारावाहिक बनाया है। पर्यावरण, सतत विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर रेडियो सीरीज़ बनाना विज्ञान को आम जनता से जोड़ने का बहुत कारगर तरीक़ा है। यहाँ विज्ञान के जटिल पहलुओं को शोध और दिलचस्प भाषा की मदद से मनोरंजक धारावाहिक के रूप में सामने लाया जाता है। टीवी-रेडियो-ओटीटी के साथ विज्ञान प्रसार ने विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली हर प्रगति को विज्ञान प्रसार ने संजोया है। कहते हैं देश का विकास विज्ञान के क्षेत्र में हुए विकास पर निर्भर करता है। पिछले एक दशक में विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए भारत नए मुक़ाम हासिल कर रहा है। इस सफ़र के हर पड़ाव पर विज्ञान प्रसार की पूरी नज़र रही है। हमारे जीवन में विज्ञान के भविष्य को सुदृढ़ बनाने वाली चाबी विज्ञान प्रसार के हाथों में ही है। इसमें अंतरिक्ष विज्ञान की भूमिका को लेकर मेरे निजी अनुभव रहे। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान का केंद्र बिंदु इसरो है। पूरी दुनिया में स्पेस इनोवेशन हो रहा है। दुनिया भर में स्पेस रेस चल रही है और इस रेस में अगर ‘स्पेस गुरु’ बनना है तो भारत को ख़ास कर कुछ बड़ा करना होगा। इसमें इसरो की अहम भूमिका होगी। इसरो का प्लान विज्ञान प्रसार ने देश को बताया है। इस बारे में सारी ज़रूरी जानकारियाँ भारत के जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन से मिली। उनसे जुलाई 2020 में साक्षात्कार करने का मौक़ा मिला, जहां उन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजीकरण और इससे होने वाले फ़ायदों के बारे में बताया। साथ ही अपने निजी और संस्थागत अनुभव भी साझा किए। अंतरिक्ष में गगनयान, मंगलयान जैसे मिशन भेजते हुए, हमें अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले और अब तक के इकलौते भारतीय राकेश शर्मा ज़रूर याद आते हैं। कोरोना काल से ठीक पहले मार्च 2020 में उनसे बैंगलुरु में मुलाक़ात हुई। वो आज भी इस इंतज़ार में हैं कि इस गौरव को बाँटने वाला दूसरा भारतीय जल्दी ही अंतरिक्ष पहुँचे। गगनयान में कैसे इंसान अंतरिक्ष तक जाएगा, उसे वहाँ क्या दिक्कतें होंगी, वो लंबे समय तक कैसे वहाँ रहेगा, इसके लिए किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। विज्ञान प्रसार ने अंतरिक्ष से लेकर धरती तक, हर क्षेत्र में होने वाली छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी गतिविधि को अपने लेंस से देखा और दुनिया को दिखाया। विज्ञान प्रसार की प्रतिष्ठित पत्रिका ड्रीम 2047 के अंग्रेज़ी और हिन्दी अंकों में विज्ञान संचार के लिए कई लेख हर महीने छपते हैं। विज्ञान प्रसार की न्यूज़ सर्विस – इंडिया साइंस वायर की मदद से मुख्यधारा में विज्ञान की ख़बरों की एक लहर सी आ गई। इस न्यूज़ सर्विस की मदद से अलग-अलग अख़बारों और पत्रिकाओं में विज्ञान के विषयों को जगह मिली। विज्ञान के हर क्षेत्र में होने वाले नवाचार ने भारत को विश्व पटल पर अलग पहचान दिलाई है। विज्ञान भारत की रग-रग में बसा है। ये भारत की परम्परा का हिस्सा है। आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, चरक और सुश्रुत जैसे महान वैज्ञानिकों के योगदान को भी विज्ञान प्रसार नई पीढ़ी के सामने लेकर आया है। आज विज्ञान का स्वरूप काफ़ी विकसित हो गया है। पूरी दुनिया में तेज़ी से वैज्ञानिक आविष्कार हो रहे हैं। इसमें भारतीय वैज्ञानिकों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। सर सी वी रमन, मेघनाद साहा, सत्येन्द्रनाथ बोस, जगदीश चन्द्र बोस, श्रीनिवास रामानुजन जैसे महान वैज्ञानिकों, गणितज्ञों पर कार्यक्रम और सीरीज़ बनाकर विज्ञान प्रसार इन्हें आज की पीढ़ी के बीच लाया है। भारतीय महिला वैज्ञानिकों से भी नई पीढ़ी का परिचय कराया है। आनंदीबाई गोपालराव जोशी, जानकी अम्मल, असीमा चटर्जी, कमला सोहोनी, दर्शन रंगनाथन आदि के बारे में कार्यक्रम बनाकर उन्हें आज के दौर में प्रासंगिक करने में विज्ञान प्रसार का योगदान है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ और ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ जैसे कार्यक्रमों से न सिर्फ़ विज्ञान की पहुँच बल्कि उसके असर पर भी ज़ोरदार काम किया गया है। विज्ञान प्रसार को सफल तैंतीस वर्षों की बधाई और आने वाले समय के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।
Note : This story was published in prestigious magazine of Vigyan Prasar ‘DREAM 2047’ (Hindi).
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