कोरोना वायरस की वजह से हमारी दुनिया ही बदल गई है। हम घरों में बंद हो गए हैं। बहुत सारे काम ऐसे हैं जो हम पहले नहीं कर पाते थे, अब उन्हें करने के लिए हमारे पास समय ही समय है। तो कुछ ऐसे काम हैं जो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा थे, लेकिन अब हम वो नहीं कर पा रहे हैं। हम confused हैं, कि कोरोना वायरस के फायदे ज़्यादा हैं या नुकसान। इसमें कोई शक नहीं कि जो काम इंसान वर्षों से नहीं कर पा रहा था, कोरोना वायरस ने चंद दिनों में कर दिखाया। एक वायरस के डर ने समाज को घर, परिवार, वातावरण के क़रीब कर दिया है। लेकिन मौत के रूप में अपनों को दूर भी कर रहा है। फ़ायदे और नुक़सान गिन लेते हैं, फिर ये समझेंगे कि जब समय के साथ सब ठीक होगा, तब इन फ़ायदे और नुक़सान का क्या होगा ?
फ़ायदानंबर 1
प्रदूषण का नामोनिशान नहीं है। वातावरण में NO2 की मात्रा कम हो गई है। PM2.5 का लेवल घट गया है। या यूं कहूं कि control में आ गया है। इसकी बड़ी वजह है कि Factories बंद हैं। आधी बनी इमारतें भी चैन की सांस ले रही हैं। Construction का काम बंद है। Public transport बंद है, जिसकी वजह से कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर हो रहा है। सड़कों पर ट्रैफ़िक जाम नहीं है। सड़कों पर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ नहीं है। सड़कों पर हॉर्न का शोर नहीं है। दिक़्क़त बस इतनी है कि वातावरण साफ़ हुआ है फिर भी हम उस स्वच्छ निर्मल हवा का आनंद नहीं ले सकते हैं। घर में बंद रहना मजबूरी है।
फ़ायदानंबर 2
शहर में चिड़ियों की चहचहाहट सुनने को मिल रही है। शहर में नीला आकाश दिख रहा है। ये फ़ायदा तो आपने ख़ुद भी महसूस किया होगा। ज़रा अपनी छत पर जाइए और देखिए कि आपको कितनी दूर तक आसमान दिखाई देता है। सामने कितनी दूर तक की इमारतें दिखाई देती हैं। शायद अब वो भी दिखता है जो पहले नहीं दिखता था, क्योंकि हवा साफ़ हो रही है। जालंधर के लोगों को यक़ीन नहीं हो रहा है कि उनकी छत से हिमालय की पहाड़ियाँ दिख रही हैं, जो पहले प्रदूषण की वजह से नहीं दिखती थी। रात को आसमान की तरफ़ देखो तो तारे टिमटिमाते हुए दिखते हैं। आप अपने बच्चों को सूरज, चाँद और तारों का विज्ञान real examples के साथ पढ़ा सकते हैं। और अगर थोड़ा सा भी astronomy का शौक है तो आप उन्हें ग्रह, constellation, वगैरह भी दिखा सकते हैं।
Credit : Sneh Kesari, Amateur Astronomer
फ़ायदानंबर 3
बाहर घूमना-फिरना कम करें। मॉल, मार्केट आदि में ज़रूरत के मुताबिक़ जाएं। इससे शॉपिंग कम होगी जो कि आपके वॉलेट के लिए फ़ायदेमंद होगा।
फ़ायदानंबर 4
अपनों से बात करने के लिए ढेर सारा समय है। फिर चाहे घर में रह रहे लोग हों या दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाला परिवार है। परिवार के साथ बैठकर टीवी देखना, गप्पे लड़ाना, हंसना-हंसाना, घर से दफ्तर का काम करते हुए भी साथ बैठकर breakfast, lunch, dinner करने में मज़ा आ रहा है। शाम की चाय अपनों के साथ पीने के लिए छुट्टी वाले दिन का इंतज़ार नहीं करना पड़ रहा है।
फ़ायदानंबर 5
ठहरकर घर को देखने का मौक़ा मिल रहा है। घर में बदलाव करने में मन लग रहा है। ऐसा लग रहा है मानो, घर के decoration के मामले में अचानक हम innovative हो गए हैं।
फ़ायदानंबर 6
घर के कामों में एक-दूसरे की मदद करने से सौहार्द बढ़ रहा है। कोई बर्तन धो रहा है, कोई झाड़ू-पोछा, तो कोई खाना बना रहा है। कोई सब्ज़ी काट रहा है तो कोई रोटी बना रहा है। यहाँ तक कि पत्नियों की दिल खोल कर मदद करने वाले पतियों के मामले भी सामने आए हैं।
फ़ायदानंबर 7
अनावश्यक मेहमानों से मुक्ति मिली है। पड़ोसियों की चिक-चिक से शांति मिली है। वो बात अलग है कि पार्क की रौनक़ ख़त्म हो गई है। मोहल्ले में साथ बैठकर gossip करने का चलन थम सा गया है।
फ़ायदानंबर 8
ढेर सारी फ़िल्में देखने को मिल रही हैं। ढेर सारी किताबें पढ़ने का समय है। बच्चों के साथ खेलने और उन्हें समझने का अच्छा मौक़ा है। पूरे दिन बच्चों को अच्छा-अच्छा खिलाने का समय है। उनके लिए extra curricular activities प्लान करके बच्चों से नया करने कराने के रास्ते खुल गए हैं। बच्चे ख़ुद भी creative होते जा रहे हैं।
फ़ायदानंबर 9
खूब सेहत बनाई जा रही है। Exercise, dieting, head stand और Zumba को जीवन में शामिल करने के नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इसका दूसरा पहलू ये है कि इस समय लोग depression दूर करने के नाम पर खूब अच्छा-अच्छा मीठा, तला-भुना खा रहे हैं। अब अच्छा-अच्छा खाने को मैं तो फायदा ही मानती हूं।
फ़ायदानंबर 10
स्कूल के पढ़ाने का सिस्टम बदल गया है। ऑनलाइन क्लास से education system में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है। ऐसे ही work from home का culture भविष्य में और विकसित हो सकता है। Online classes की तरह online business का चलन भी तेज़ी पकड़ सकता है। इस तरह के तमाम internet आधारित काम पैर पसार सकते हैं।
अबकोरोनावायरससेहोरहेनुक़सानकीबातकरलेतेहैं।
नुक़साननंबर 1
सबसे बड़ा नुक़सान तो ये है कि लोगों की मौत हो रही है। जिसे हम चाह कर भी नहीं बदल सकते हैं। इस वायरस की दवा, कारगर इलाज, ख़ास तौर से वैक्सीन के लिए, अभी इंतज़ार करना होगा।
नुक़साननंबर 2
लोग बेघर हो रहे हैं। लोग भूखे मरने को मजबूर हैं। लोग पलायन कर रहे हैं। ये कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें से एक भी हमारे वश में नहीं है।
नुक़साननंबर 3
ये वायरस काल वैश्विक संकट लेकर आया है। दुनिया के हर देश की आर्थिक व्यवस्था डगमगा गई है। नौकरियों पर बन आई है। लोगों की नौकरी, प्रोमोशन, सैलेरी बढ़ना, increment आदि का समय निकल रहा है। विकास दर नीचे आ रही है। इसके बड़े नुसकान वक्त के साथ सामने आएंगे और हमें न चाहते हुए भी इन्हें सहना होगा।
नुक़साननंबर 4
लोगों को EMI की चिंता सता रही है। किसी के पास मकान का किराया देने के पैसे नहीं हैं। तो कोई इस बात से परेशान है कि जब स्कूल बंद हैं तो फीस भी नहीं देनी चाहिेए। लेकिन ज्यादातर स्कूल में ऑनलाइन क्लास शुरु हो चुकी हैं, और बच्चों की पढ़ाई भी।
नुक़साननंबर 5
स्वास्थ्य अधिकारियों को आराम नहीं है। पुलिस प्रशासन लगातार काम पर है। Essential services सेक्टर पूरी तरह काम में लगा हुआ है। आपका दूध वाला रोज़ दूध देने आता है। Grocery shops पर लोग काम कर रहै हैं। इन को भी वायरस से उतना ही खतरा है जितना हमें।
नुक़साननंबर 6
घर में बैठने से depression हो रहा है। बच्चे बाहर खेलने नहीं जा पा रहे हैं। हम बाहर घूमने नहीं जा पा रहे हैं। बाहर का खाना-पीना सब बंद है। ऐसे में बच्चे परेशान करते हैं और हम परेशान होते हैं। कई बार पूरा दिन उनको डांटने में निकल जाता है, और कई बार उन्हें डाँटने के बाद अफ़सोस करने में।
नुक़साननंबर 7
घर में काम वाली की no entry है। तो सारे काम खुद ही करने पड़ रहे हैं। आप इसे exercise के Alternative के रूप में देख सकते हैं। लेकिन बस कुछ दिन, अगर लम्बे समय तक ये सब करना पड़ा तो ज़्यादातर लोग इससे दुखी, परेशान और depressed महसूस कर सकते हैं।
नुक़साननंबर 8
शादी-ब्याह आदि कार्यक्रम टल गए हैं और अभी और लंबे टल सकते हैं। क्योंकि social distancing सिर्फ दो शब्द नहीं हैं, ये एक प्रथा है जो शुरु हो चुकी है और आगे हमारे साथ चलती रहेगी। लंबे समय तक हम अपने आस-पास के लोगों को शक की नज़रों से देखते रहेंगे। किसी ने छींका या खांसा तो हम उसे मन ही मन कोसेंगे।
नुक़साननंबर 9
वैसे तो इसे नुक़सान नहीं कहना चाहिए, लेकिन बच्चे अगर पूरे दिन घर में रहें तो खेलने, खाने, टीवी देखने और शोर मचाने के अलावा आपके आराम के लिए समय नहीं बचने देते हैं। उन्हें रोकना, टोकना पहले ही नामुमकिन था, अब तो पूरे दिन ये मत छुओ, वहाँ मत जाओ, घर में रहो, ऐसी हिदायतें देते-देते हम ख़ुद भी बोर हो गए हैं। ऊपर से बार-बार हाथ धोने जाते हैं और पूरा नहाकर आते हैं, और काम बढ़ाते हैं।
नुक़साननंबर 10
No home deliveries… इसे कैसे देखते हैं आप ? आज के ज़माने में घर पर सामान न पहुंचे और हर चीज़ के लिए आपको मार्केट जाना पड़े तो थोड़ा तकलीफ देने वाला लगता है। ऊपर से online discounts का मुकाबला तो कोई शोरूम, कोई मॉल, कोई दुकान नहीं कर सकता है।
इस अच्छे-बुरे बदलाव के बीच जो सबसे बड़ा डर है वो ये कि जब हालात सामान्य होंगे तब क्या होगा ? क्या हम बदलाव के अच्छे पहलुओं को ऐसे ही क़ायम रख सकेंगे ? अगर हम अपने लाइफ़स्टाइल में सुधार करें, तो शायद कुछ हद तक हम ऐसा कर सकेंगे।
Online ideas develop करें। Online Startups का सही वक्त अब आया है। ऐसे ideas पर काम करें जो भविष्य में आपके घर से बाहर निकलने की ज़रूरत को पूरी तरह खत्म कर दे। और लोगों को घर बैठे आपके बिज़नेस से फायदा मिल सके।
घर से काम करने की आदत डालें। नौकरी हो या बिज़नेस, कोशिश करें कि जितना हो सके घर से काम करें। ऐसे में आप ट्रैफ़िक का हिस्सा नहीं बनेंगे, honking नहीं करेंगे, कार्बन उत्सर्जन की वजह नहीं बनेंगे यानी मौजूदा सुधरे हालात बने रहें, इसमें आपका भी योगदान होगा।
बच्चों के लिए भी घर से पढ़ाई करना, आपकी नज़रों के सामने रहना, आपके आस-पास ही खेलना, टीवी देखना… हर बात अगर यूँ ही बनी रहे तो बच्चों के लिए काफ़ी मददगार साबित होगी। वैसे ये भी सच है कि बच्चों को बाहर खेलने-कूदने का मौक़ा मिलना चाहिए।
Social distancing को ज़रूरत नहीं आदत बनाएं। यानी जितनी ज़रूरत हो उतना ही लोगों से मिले। हर हफ्ते की जगह महीने में एक बार पार्टी करें। बाहर खाना खाने का चलन भी हफ्ते में एक बार की जगह, महीने में दो बार कर सकते हैं। ऐसे में सेहत तो बनेगी ही, साथ ही पैसे भी बचेंगे।
वक्त आ गया है जब factories की जगह Clean energy में invest किया जाए, Renewable sources of energy को promote किया जाए।
और हो सकता है कि आने वाले वक्त में Lockdown को कई समस्याओं के समाधान के रूप मे ंदेखा जाने लगा जाए।
फ़ायदा नंबर 1
प्रदूषण का नामोनिशान नहीं है। वातावरण में NO2 की मात्रा कम हो गई है। PM2.5 का लेवल घट गया है। या यूं कहूं कि control में आ गया है। इसकी बड़ी वजह है कि Factories बंद हैं। आधी बनी इमारतें भी चैन की सांस ले रही हैं। Construction का काम बंद है। Public transport बंद है, जिसकी वजह से कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर हो रहा है। सड़कों पर ट्रैफ़िक जाम नहीं है। सड़कों पर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ नहीं है। सड़कों पर हॉर्न का शोर नहीं है। दिक़्क़त बस इतनी है कि वातावरण साफ़ हुआ है फिर भी हम उस स्वच्छ निर्मल हवा का आनंद नहीं ले सकते हैं। घर में बंद रहना मजबूरी है।
फ़ायदा नंबर 2
शहर में चिड़ियों की चहचहाहट सुनने को मिल रही है। शहर में नीला आकाश दिख रहा है। ये फ़ायदा तो आपने ख़ुद भी महसूस किया होगा। ज़रा अपनी छत पर जाइए और देखिए कि आपको कितनी दूर तक आसमान दिखाई देता है। सामने कितनी दूर तक की इमारतें दिखाई देती हैं। शायद अब वो भी दिखता है जो पहले नहीं दिखता था, क्योंकि हवा साफ़ हो रही है। जालंधर के लोगों को यक़ीन नहीं हो रहा है कि उनकी छत से हिमालय की पहाड़ियाँ दिख रही हैं, जो पहले प्रदूषण की वजह से नहीं दिखती थी। रात को आसमान की तरफ़ देखो तो तारे टिमटिमाते हुए दिखते हैं। आप अपने बच्चों को सूरज, चाँद और तारों का विज्ञान real examples के साथ पढ़ा सकते हैं। और अगर थोड़ा सा भी astronomy का शौक है तो आप उन्हें ग्रह, constellation, वगैरह भी दिखा सकते हैं।
फ़ायदा नंबर 3
बाहर घूमना-फिरना कम करें। मॉल, मार्केट आदि में ज़रूरत के मुताबिक़ जाएं। इससे शॉपिंग कम होगी जो कि आपके वॉलेट के लिए फ़ायदेमंद होगा।
फ़ायदा नंबर 4
अपनों से बात करने के लिए ढेर सारा समय है। फिर चाहे घर में रह रहे लोग हों या दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाला परिवार है। परिवार के साथ बैठकर टीवी देखना, गप्पे लड़ाना, हंसना-हंसाना, घर से दफ्तर का काम करते हुए भी साथ बैठकर breakfast, lunch, dinner करने में मज़ा आ रहा है। शाम की चाय अपनों के साथ पीने के लिए छुट्टी वाले दिन का इंतज़ार नहीं करना पड़ रहा है।
फ़ायदा नंबर 5
ठहरकर घर को देखने का मौक़ा मिल रहा है। घर में बदलाव करने में मन लग रहा है। ऐसा लग रहा है मानो, घर के decoration के मामले में अचानक हम innovative हो गए हैं।
फ़ायदा नंबर 6
घर के कामों में एक-दूसरे की मदद करने से सौहार्द बढ़ रहा है। कोई बर्तन धो रहा है, कोई झाड़ू-पोछा, तो कोई खाना बना रहा है। कोई सब्ज़ी काट रहा है तो कोई रोटी बना रहा है। यहाँ तक कि पत्नियों की दिल खोल कर मदद करने वाले पतियों के मामले भी सामने आए हैं।
फ़ायदा नंबर 7
अनावश्यक मेहमानों से मुक्ति मिली है। पड़ोसियों की चिक-चिक से शांति मिली है। वो बात अलग है कि पार्क की रौनक़ ख़त्म हो गई है। मोहल्ले में साथ बैठकर gossip करने का चलन थम सा गया है।
फ़ायदा नंबर 8
ढेर सारी फ़िल्में देखने को मिल रही हैं। ढेर सारी किताबें पढ़ने का समय है। बच्चों के साथ खेलने और उन्हें समझने का अच्छा मौक़ा है। पूरे दिन बच्चों को अच्छा-अच्छा खिलाने का समय है। उनके लिए extra curricular activities प्लान करके बच्चों से नया करने कराने के रास्ते खुल गए हैं। बच्चे ख़ुद भी creative होते जा रहे हैं।
फ़ायदा नंबर 9
खूब सेहत बनाई जा रही है। Exercise, dieting, head stand और Zumba को जीवन में शामिल करने के नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। इसका दूसरा पहलू ये है कि इस समय लोग depression दूर करने के नाम पर खूब अच्छा-अच्छा मीठा, तला-भुना खा रहे हैं। अब अच्छा-अच्छा खाने को मैं तो फायदा ही मानती हूं।
फ़ायदा नंबर 10
स्कूल के पढ़ाने का सिस्टम बदल गया है। ऑनलाइन क्लास से education system में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है। ऐसे ही work from home का culture भविष्य में और विकसित हो सकता है। Online classes की तरह online business का चलन भी तेज़ी पकड़ सकता है। इस तरह के तमाम internet आधारित काम पैर पसार सकते हैं।
अब कोरोना वायरस से हो रहे नुक़सान की बात कर लेते हैं।
नुक़सान नंबर 1
सबसे बड़ा नुक़सान तो ये है कि लोगों की मौत हो रही है। जिसे हम चाह कर भी नहीं बदल सकते हैं। इस वायरस की दवा, कारगर इलाज, ख़ास तौर से वैक्सीन के लिए, अभी इंतज़ार करना होगा।
नुक़सान नंबर 2
लोग बेघर हो रहे हैं। लोग भूखे मरने को मजबूर हैं। लोग पलायन कर रहे हैं। ये कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें से एक भी हमारे वश में नहीं है।
नुक़सान नंबर 3
ये वायरस काल वैश्विक संकट लेकर आया है। दुनिया के हर देश की आर्थिक व्यवस्था डगमगा गई है। नौकरियों पर बन आई है। लोगों की नौकरी, प्रोमोशन, सैलेरी बढ़ना, increment आदि का समय निकल रहा है। विकास दर नीचे आ रही है। इसके बड़े नुसकान वक्त के साथ सामने आएंगे और हमें न चाहते हुए भी इन्हें सहना होगा।
नुक़सान नंबर 4
लोगों को EMI की चिंता सता रही है। किसी के पास मकान का किराया देने के पैसे नहीं हैं। तो कोई इस बात से परेशान है कि जब स्कूल बंद हैं तो फीस भी नहीं देनी चाहिेए। लेकिन ज्यादातर स्कूल में ऑनलाइन क्लास शुरु हो चुकी हैं, और बच्चों की पढ़ाई भी।
नुक़सान नंबर 5
स्वास्थ्य अधिकारियों को आराम नहीं है। पुलिस प्रशासन लगातार काम पर है। Essential services सेक्टर पूरी तरह काम में लगा हुआ है। आपका दूध वाला रोज़ दूध देने आता है। Grocery shops पर लोग काम कर रहै हैं। इन को भी वायरस से उतना ही खतरा है जितना हमें।
नुक़सान नंबर 6
घर में बैठने से depression हो रहा है। बच्चे बाहर खेलने नहीं जा पा रहे हैं। हम बाहर घूमने नहीं जा पा रहे हैं। बाहर का खाना-पीना सब बंद है। ऐसे में बच्चे परेशान करते हैं और हम परेशान होते हैं। कई बार पूरा दिन उनको डांटने में निकल जाता है, और कई बार उन्हें डाँटने के बाद अफ़सोस करने में।
नुक़सान नंबर 7
घर में काम वाली की no entry है। तो सारे काम खुद ही करने पड़ रहे हैं। आप इसे exercise के Alternative के रूप में देख सकते हैं। लेकिन बस कुछ दिन, अगर लम्बे समय तक ये सब करना पड़ा तो ज़्यादातर लोग इससे दुखी, परेशान और depressed महसूस कर सकते हैं।
नुक़सान नंबर 8
शादी-ब्याह आदि कार्यक्रम टल गए हैं और अभी और लंबे टल सकते हैं। क्योंकि social distancing सिर्फ दो शब्द नहीं हैं, ये एक प्रथा है जो शुरु हो चुकी है और आगे हमारे साथ चलती रहेगी। लंबे समय तक हम अपने आस-पास के लोगों को शक की नज़रों से देखते रहेंगे। किसी ने छींका या खांसा तो हम उसे मन ही मन कोसेंगे।
नुक़सान नंबर 9
वैसे तो इसे नुक़सान नहीं कहना चाहिए, लेकिन बच्चे अगर पूरे दिन घर में रहें तो खेलने, खाने, टीवी देखने और शोर मचाने के अलावा आपके आराम के लिए समय नहीं बचने देते हैं। उन्हें रोकना, टोकना पहले ही नामुमकिन था, अब तो पूरे दिन ये मत छुओ, वहाँ मत जाओ, घर में रहो, ऐसी हिदायतें देते-देते हम ख़ुद भी बोर हो गए हैं। ऊपर से बार-बार हाथ धोने जाते हैं और पूरा नहाकर आते हैं, और काम बढ़ाते हैं।
नुक़सान नंबर 10
No home deliveries… इसे कैसे देखते हैं आप ? आज के ज़माने में घर पर सामान न पहुंचे और हर चीज़ के लिए आपको मार्केट जाना पड़े तो थोड़ा तकलीफ देने वाला लगता है। ऊपर से online discounts का मुकाबला तो कोई शोरूम, कोई मॉल, कोई दुकान नहीं कर सकता है।
आख़िर में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये अच्छे–बुरे बदलाव का सामंजस्य कैसे क़ायम रहे ?
इस अच्छे-बुरे बदलाव के बीच जो सबसे बड़ा डर है वो ये कि जब हालात सामान्य होंगे तब क्या होगा ? क्या हम बदलाव के अच्छे पहलुओं को ऐसे ही क़ायम रख सकेंगे ? अगर हम अपने लाइफ़स्टाइल में सुधार करें, तो शायद कुछ हद तक हम ऐसा कर सकेंगे।
और हो सकता है कि आने वाले वक्त में Lockdown को कई समस्याओं के समाधान के रूप मे ंदेखा जाने लगा जाए।
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