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Soap vs Sanitiser : कोरोना वायरस से कौन बचाएगा ?

कोरोना वायरस ने हम सभी को हाथ धोने के काम पर लगाया हुआ है। कुछ भी छुआ तो हाथ धो। कुछ नहीं छुआ हो तो भी हाथ धो। हाथ धोते रहो ताकि कोरोना वायरस आप तक न पहुँच सके। हमारे हाथ कोरोना वायरस जैसे तमाम germs, bacteria और virus के लिए एक वाहन हैं जो किसी भी सतह से हमारे शरीर में आ सकते हैं। 

अब सवाल ये है कि हाथ धोएं कैसे ? कुछ लोग कह रहे हैं कि साबुन और पानी से हाथ धो। कुछ लोग कह रहे हैं कि alcohol वाले hand sanitiser से हाथ धो। अब कौन सा तरीक़ा बेहतर है ? कोरोना पर कौन बेहतर अटैक करेगा ? आइए आज इसको समझते हैं। 

वैसे तो साबुन-पानी और hand sanitiser का इस्तेमाल इस बात पर निर्भर करता है कि आप हाथ क्यों धो रहे हैं ? लेकिन यहाँ सबसे ज़रूरी फ़र्क़ समझिए… अगर सिर्फ कीटाणु हटाने के लिए हाथ धोना है तो साबुन-पानी से धोएं। लेकिन अगर बैक्टीरिया और वायरस से बचना है तो alcohol युक्त hand sanitiser इस्तेमाल करें। 

Centers for Disease Control and Prevention (CDC) के मुताबिक साबुन और पानी से हाथ धोने से Germs दूर हो जाते हैं लेकिन मरते नहीं हैं। वहीं alcohol वाले Hand sanitiser में मौजूद alcohol, Bacteria और Virus की झिल्ली को नरम करके उसे मार देती है। या यूं कहें कि alcohol bacteria और virus को अप्रभावी बना देता है। यानी Bacteria और Virus अभी भी आपके हाथ में हो सकते हैं लेकिन अब वो आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। 

वहीं अगर आपके हाथ गंदे हों यानी मिट्टी वाले गंदे… या यूँ कहूँ कि जो गंदगी आँखों से दिखाई दे रही है, तो आपको साबुन-पानी की ही ज़रूरत पड़ेगी। ऐसे में Hand sanitiser काम नहीं आएगा। 

लेकिन इस वक़्त बात कोरोना वायरस की हो रही है। तो वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस पर हाथ धोने का कोई तरीक़ा काम नहीं करता है। सिर्फ़ 90% alcohol वाला hand sanitiser ही काम आता है। यहां सबसे ज़रूरी है hand sanitiser में alcohol की percentage. अगर hand sanitiser में alcohol की percentage 60% से कम है, तो वो hand sanitiser बिल्कुल असरदार नहीं होगा और किसी तरह भी आपकी मदद नहीं कर पाएगा। लेकिन अगर आप ऐसी जगह पर हैं जहां आपको साफ पानी नहीं मिल रहा है, तो hand sanitiser बहुत अच्छा है। इसलिए जब आप घर से बाहर निकल रहे हों तो अपने पास hand sanitiser रख सकते हैं। 

बाज़ार में तरह-तरह के hand sanitiser आ गए हैं। जैसे gel वाला hand sanitiser, foam वाला hand sanitiser, alcohol-based hand sanitiser, और all-natural hand sanitiser. इसके अलावा कुछ खूशबू वाले hand sanitiser भी आते हैं। आपको ध्यान सिर्फ इस बात पर रखना है कि hand sanitiser में alcohol की percentage 60% से कम न हो। और अगर 90% या उससे ज़्यादा हो तो बहुत ही अच्छा है। ये hand sanitiser cold और flu germs पर भी भारी पड़ता है। 

यहां ये भी समझ लीजिए कि hand sanitiser का ज़्यादा इस्तेमाल करने से मामला बिगड़ सकता है। यानी आपके हाथों में dryness आ सकती है, cracks पड़ सकते हैं, खून भी आ सकता है। ऐसे में germs, bacteria, virus आपके शरीर में घुस सकते हैं। कुछ लोगों को इससे irritation भी हो सकती है। हैंड सैनिटाइजर अगर गलती से मुँह में चला जाए तो किसी को भी नुक़सान नहीं पहुँचता है। लेकिन अगर आपने इसे पीने की गलती की, तो alcohol poisoning हो सकती है और मामला गंभीर हो सकता है। 

लगे हाथ आपको हाथ धोने का सही तरीक़ा भी बता देते हैं। आपको लगेगा कि हाथ धोना तो सभी को आता ही है। लेकिन आगे पढ़िए और गौर कीजिए कि क्या आप ऐसे ही हाथ धोते हैं? और अगर नहीं तो आगे से ऐसे ही हाथ धोना शुरु कीजिए। 

  • सबसे पहले अपने हाथों को साफ बहते पानी से गीला करें और साबुन लगाएं। 
  • अपने हाथों को एक साथ रगड़ें, अच्छी तरह से रगड़कर साफ़ करें;  
  • इसके बाद अपने हाथों के पीछे के हिस्से को, अपनी उंगलियों के बीच और अपने नाखूनों के नीचे रगड़ना शुरु करें। ध्यान रहे कि हर उँगली का हर हिस्सा ज़रूर रगड़ना है। इसके बाद अंगूठे को रगड़ना न भूलें। 
  • कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को रगड़ना जारी रखें।  
  • बहते पानी के नीचे अपने हाथों को अच्छी तरह से रगड़ें। 
  • एक साफ तौलिया या air dryer का उपयोग करके अपने हाथों को सुखाएं।

(आप अगर ये सोच रहे हैं कि हाथ धोते हुए घड़ी कैसे देखेंगे। तो ये तरीका अपनाइए – बस Happy birthday to you दो बार पूरी धुन के साथ गुनगुनाइए और बीस सेकंड हो गए।) 

 

अब हाथ कब-कब धोने हैं, ये बताने की ज़रूरत नहीं है। ये ज़रूर जान लीजिए कि सिर्फ़ हाथ धोना काफ़ी नहीं है। हाथ धोने के बाद उन्हें ठीक से सुखाना भी बहुत अहमियत रखता है। हाथ धोकर अपने ही कपड़ों में पोंछ लेना बेवक़ूफ़ी है। इससे आपके हाथ स्वच्छ-निर्मल नहीं हुए। Air drier या किसी साफ तौलिए से ठीक से हाथों को पोंछना और सुखाना सबसे सही तरीका है। 

यहाँ आपको उस व्यक्ति के बारे में भी जानना चाहिए जिसे हाथ धोना सिखाने पर पागलखाने भेज दिया गया था। 19वीं शताब्दी तक अस्पतालों में हाथ धोने का रिवाज नहीं था। यहां तक कि डॉक्टर्स, नर्स और अस्पताल के कर्मचारी भी हाथ नहीं धोते थे। ऐसे में एक शख्स ने हाथ धोने का वैज्ञानिक तरीका अपनाया। ये शख़्स थे डॉ इग्नाज सेमेल्विस। हुआ ये कि 1846 में यूरोप के देश हंगरी के वियना जनरल हॉस्पिटल में बहुत गंदगी रहती थी। इसकी वजह से वहाँ पैदा हुए सौ बच्चों में से लगभग नौ बच्चे मर जाते थे। इसकी वजह मानी गई कि डॉक्टर तरहृ-तरह के मरीज़ों को देखते हैं और फिर हाथ नहीं धोते हैं, न ही दस्ताने पहनते हैं जिसकी वजह से संक्रमण फैलता है। तब एक नियम जारी किया गया कि जो कोई भी अस्पताल में आएगा, उसे हाथ धोना होगा। हाथ धोने की व्यवस्था लागू होने के बाद मैटरनिटी वॉर्ड में होने वाली मौतों की संख्या घटकर आधी रह गई। लेकिन हाथ धोने के नियम बनाने की इस कोशिश में डॉ इग्नाज सेमेल्विस के साथी डॉक्टर्स ने मदद नहीं की। डॉ इग्नाज सेमेल्विस ने इस बारे में जागरुकता फैलाने की कोशिश की, किताब लिखी, पत्रिकाओं के द्वारा जानकारी सार्वजनिक करने की कोशिश की लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। डॉ इग्नाज सेमेल्विस के लिए वो वक़्त काफ़ी मुश्किल था। इतना मुश्किल की डॉ इग्नाज सेमेल्विस पागल हो गए। 

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