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कोरोना वायरस आख़िर इतना ख़तरनाक क्यों है ?

कोरोना वायरस के बारे में इतना कुछ हम सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं… कि लगता है कि हम सब जानते हैं। लेकिन डॉक्टरों की सलाह से लेकर कोरोना वायरस के मामलों के अपडेट के अलावा भी बहुत कुछ ऐसा है जो आपको वक़्त रहते जान लेना चाहिेए। जैसे कोरोना वायरस हमारे शरीर पर कैसे अटैक करता है ? कोरोना से सबसे बड़ा ख़तरा क्या है ? Covid 19 से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह क्या है ? अलग अलग स्टेजेज़ में कोरोना के लक्षण : Mild to moderate to severe to critical कैसे होते हैं ? आइए एक एक करके जानते हैं क्योंकि जानकारी ही बचाव है। 

कोरोना के लक्षण : Mild to moderate to severe to critical 

शुरु – शुरु में हो सकता है कि ये आपको मामूली सर्दी-ज़ुकाम लगे लेकिन लापरवाही नहीं करनी चाहिए। डॉक्टर भी मानते हैं कि मामूली सर्दी-ज़ुकाम और Covid 19 के symptoms में ज़्यादा फर्क नहीं है लेकिन ध्यान से देखेंगे, परखेंगे तो फर्क महसूस होगा… तो बस ध्यान देने की ज़रूरत है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ Covid 19 के 80% मामले mild to moderate की category में आते है। वहीं 14% मामले severe और 6% मामले critical हैं। Covid 19 को श्रेणियों में बांटने का आधार इसके लक्षण ही हैं। जैसे सर्दी-ज़ुकाम के अलावा बुखार, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना, गले में खराश, थकावट, सिरदर्द, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द और नाक बहने जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। ये symptoms mild to moderate की श्रेणी में आते हैं।

Severe cases में ऑक्सीजन supplement की आवश्यकता होती है। और critical cases में respiratory और multi organ failure तक हो सकता है। लक्षण के साथ ही उपचार और ठीक होने में लगने वाला समय भी अलग होता है। इसे एक एक करके समझते हैं।

पहले लक्षण विकसित होने के लिए कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद कम से कम 2 और अधिक से अधिक 14 दिन लग सकते हैं। ये ठंड या फ्लू जैसा महसूस हो सकता है और कई रोगियों को बुखार जल्दी आता है। WHO और चीन के संयुक्त मिशन से पता चलता है कि Covid 19 वाले 88% लोगों को बुखार था। चीन के एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि अस्पताल में भर्ती रोगियों में केवल 44% मरीज़ों को बुखार था लेकिन 89% मरीज़ों में आख़िरकार बुख़ार के लक्षण विकसित हुए। कुछ मामलों में Gastrointestinal लक्षण भी दिखाई दिए। यानी सांस लेने में तकलीफ़ शुरु होने से पहले डायरिया, उल्टी और पेट की परेशानी आ सकती है।

कोरोना वायरस से सबसे बड़ा ख़तरा क्या है

लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि Covid 19 एक respiratory disease है यानी श्वसन रोग है। इसका मतलब है कि ज्यादातर रोगियों में कोरोना वायरस फेफड़ों से शुरू और खत्म होता है। संक्रमण के शुरुआती दिनों में, वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं पर हमला करता है। विशेष रूप से यह फेफड़ों की सिलिया को नुकसान पहुंचा सकता है। सिलिया एक तरह के बाल जैसे होते हैं जो फेफड़ों में पहुँचने वाली हवा को बलगम से साफ रखने में मदद करते हैं। जब कोशिकाएँ संक्रमित हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं। इससे आपके फेफड़ों और सांस लेने की नली में संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है। संक्रमण से फेफड़ों में सूजन आ जाती है जो आपके फेफड़ों को कमज़ोर करती है और फेफड़ों के कमज़ोर होने से सूजन बढ़ती जाती है। ये चक्र तब तक जारी रह सकता है जब तक कि कोई स्वस्थ cells न बचे हों। यानी कोरोना वायरस आपके फेफड़ों को पूरी तरह से नष्ट करके ही चैन की सांस लेता है। फेफड़ों का काम है शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाना और जब फेफड़ों में संक्रमण होता है तो वो ठीक से काम नहीं करते हैं और आपको सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसे में मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। और जब वहां भी बात नहीं बनती है, तो मरीज़ की मौत हो जाती है।

Covid 19 का एक बड़ा लक्षण है सूखी खांसी जो 67.7% मामलों में देखा गया है… और इस सूखी खांसी की बड़ी वजह फेफड़ों में सूजन और उनका कमज़ोर होना ही है। ऐसे लोग जिनमें पहले से कोरोना वायरस के लक्षण मौजूद हैं उन्हें पाँचवें दिन से सास में तकलीफ़ महसूस होने लग सकती है। और अस्पताल पहुँचने में सात दिन तक लग सकते हैं। जबकि mild cases हो तो इतने समय में ठीक हो जाते हैं। और moderate to critical cases हों तो उन्हें निमोनिया होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे रोगियों को ठीक होने में कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों का समय लग सकता है। कुछ severe और critical मामलों में symptoms Acute Respiratory Distress Syndrome यानी ARDS तक पहुंच सकता है।

Acute Respiratory Distress Syndrome क्या है

ARDS एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब फेफड़ों में पानी भरने लगता है। ऐसे में immune cells जिनका काम होता है संक्रमित या infected cells को मारना, वो अपने रास्ते में आने वाली हर कोशिका यानी cell को मारने लगते हैं। यहां तक कि healthy cells यानी स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगते हैं।

ARDS अक्सर घातक होता है। एक अनुमान के मुताबिक ARDS के 30-40% मामले घातक होते हैं। Critical मामलों में ये respiratory failure की वजह बन सकता है जहां advanced life support system की ज़रूरत पड़ सकती है।

ARDS के उपचार में ऑक्सीजन supplement देना और उचित वेंटिलेशन देना शामिल हैं। इसका मक़सद है कि खून में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा हो। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में ये काम फेफड़े नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति में मरीज़ 14-19 दिनों तक इस बीमारी से लड़ सकता है… इसके बाद मरीज़ दम तोड़ देता है।

Covid 19 से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह क्या है ? 

स्थिति इतनी गंभीर होती है कि अगर आप Covid 19 से बच भी गए तो भी आपके फेफड़ों को भारी नुकसान होता है। और ठीक होने वाले लोग औसतन ढाई हफ्त में घर वापिस जा सकते हैं। लेकिन एक बार मरीज ठीक हो भी जाए तो भी कोरोना वायरस संक्रमण का कारण बन सकता है। इसलिए अपने डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी से पूरी तरह आश्वस्त हो जाए कि अब आप ख़ुद के लिए और अपनों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

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