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Isolation और Quarantine में क्या फर्क है ?

इन दिनों हम लगातार सुन रहे हैं कि लोगों को quarantine होने के लिए कहा जा रहा है या फिर isolation में जाने की बात कही जा रही है। इन दोनों में फर्क क्या है ? इस वक्त स्थिति कोई भी हो, हम इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल बिना जाने-समझे कर रहे हैं। इनका फर्क और मतलब समझना ज़रूरी है। 

अगर आपको COVID-19 संक्रमण का खतरा है, लेकिन अभी आपमें किसी तरह के लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो आपको quarantine में रखा जाता है। विदेश से आने वाले ज़्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही किया जा रहा है। वैसे देखा जाए तो हम सभी इस वक्त Quarantine में हैं। इस शब्द का उपयोग उन हालात के लिए किया जाता है जिसमें स्वस्थ लोगों को घर में रहने की, घर से बाहर न निकलने की, किसी से न मिलने की हिदायत दी जाती है। ऐसा करने से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने की सूरत कम हो जाती है। इसके अलावा हो सकता है कि आप किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आए हों और आपको इसकी जानकारी न हो, या फिर आपको ये बीमारी हो लेकिन इसके लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हों। ऐसे में Quarantine होना रोग के प्रसार को सीमित करने में मदद कर सकता है। 

यानी अगर आप ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जिसे कोरोना वायरस पॉज़िटिव पाया गया है तो आपको quarantine में जाना होगा, और उन सब लोगों को भी जो आपके सम्पर्क में आए हैं। जबकि वो व्यक्ति जिसमें ये लक्षण दिखने लगे हैं या जो कोरोना वायरस टेस्ट में पॉज़िटिव पाया गया है तो उसे Isolation में रखा जाता है। यानी Isolation शब्द का उपयोग बीमार व्यक्तियों को स्वस्थ लोगों से अलग करने के लिए किया जाता है। Isolation में उन लोगों को रखा जाता है जो कोरोना वायरस के टेस्ट में पॉज़िटिव आते हैं। 

कहा जाता है कि इस वायरस से होने वाली बीमारी के लक्षण 14 दिनों के अंदर दिखने लगते हैं। इसलिए Quarantine की अवधि भी 14 दिन की है। इन 14 दिनों में अगर आप अस्वस्थ हो जाते हैं तो कोरोना वायरस का टेस्ट किया जाता है। अगर अब ये टेस्ट पॉज़िटिव आता है तो आपको Isolation में भेजा जाएगा। लेकिन अगर अब भी आपका टेस्ट नेगेटिव आता है, लेकिन आप अस्वस्थ तो हुए हैं तो आपको अगले 14 दिनों के लिए Quarantine में ही रखा जाएगा। कई बार कोरोना वायरस के लक्षण दिखने में लंबा समय लगता है। इसके बाद भी अगर आप में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिखते हैं या टेस्ट नेगेटिव आता है तो आपको सामान्य जीवन में लौटने दिया जाता है। लेकिन ये फ़ैसला सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके डॉक्टर या साव्स्थ्य अधिकारी ही ले सकते हैं। 

हम जानते हैं कि Covid 19 का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए तो घर में ही रहने की हिदायत दी जा रही है। पूरे शहर को नहीं देश को लॉकडाउन करने की कोशिशें हो रही हैं। Isolation में रहने वाले बीमार व्यक्ति को तब तक कहीं भी आने-जाने की मनाही होती है जब तक वो पूरी तरह से ठीक न हो जाए। यहाँ ध्यान वाली बात ये भी है कि एक बार मरीज ठीक हो भी जाए तो भी कोरोना वायरस संक्रमण का कारण बन सकता है। इसलिए अपने डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी से पूरी तरह आश्वस्त हो जाए कि अब आप ख़ुद के लिए और अपने आस-पास के लोगों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। 

Self isolation भी एक तरह की स्थिति है जिसमें अगर आपमें COVID-19 के लक्षण विकसित हो रहे हैं तो आप फॉरन खुद को एक कमरे में बंद कर लीजिए। अस्पताल जाने की ग़लती नहीं करनी है। अपने डॉक्टर को फोन से जानकारी दीजिए। वो तय करेंगे कि आपको कोरोनावायरस के लिए परीक्षण करने की आवश्यकता है या नहीं और वो ख़ुद आपके परीक्षण की व्यवस्था करेंगे। जब तक कि आप परीक्षण करवाते हैं या जब तक आप परीक्षण के परिणाम की प्रतीक्षा करते हैं या जब तक कोई सकारात्मक परिणाम की पुष्टि नहीं होती है, आपको घर में ही नहीं, बल्कि अपने उस कमरे में ही रहना होगा। अपनी चीज़ें किसी के साथ नहीं शेयर करनी है। फिर चाहे वो खाना हो, पानी हो, तौलिया हो या टॉयलेट। इसे self isolation कहते हैं। कोरोनावायरस वाले अधिकांश लोगों में शुरुआत में केवल हल्के लक्षण ही दिखते हैं लेकिन वो भी वायरस को दूसरों में फैला सकते हैं। 

कुछ नियम ठीक से याद करना ज़रूरी है, जैसे –

  • आपको घर पर ही रहना है।
  • कोई मिलने के लिए नहीं आना चाहिए।
  • पार्क में टहलना, आस-पास की दुकानों में जाना, स्कूल, विश्वविद्यालय, कार्यालय, पुस्तकालय, फिल्म देखने, पूजा स्थल, केमिस्ट आदि तक भी नहीं जाना है।
  • यहाँ तक कि परिवार के लोगों से भी नहीं मिलना-जुलना है।

उम्मीद है कि आपको इन शब्दों में फ़र्क़ समझ आया होगा। वैसे शब्द कोई भी इस्तेमाल हो, इसका मक़सद आपको वायरस के संक्रमण से बचाना है।

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